मेरी दीदी और मै : एक यादगार घटना – Brother Sister Sex Stories

Brother Sister Sex Stories – ये बात तब की है जब मै 19 साल का था. मेरा चेन्नई के एक बहुत अकचे कॉलेज में अड्मिशन हो गया था , लेकिन वहाँ मेरा कोई फ्रेंड नही था. लेकिन खुसकिस्मत से मेरी दीदी , जिसकी 2 साल पहले शादी हो चुकी थी , उन दिनो चेन्नई में ही थी. मै अपनी दीदी से बहुत प्यार करता था. वैसे उमरा में वो मुझसे 6 साल बड़ी थी. हम साथ साथ खेला करते थे और वो जहाँ भी जाती थी मुझे भी अपने साथ ही ले जाती थी.

मै चेन्नई में उसके घर पहुँचा तो वो मेरा इंतज़ार कर रही थी क्यूंकी पिताजी ने फोन करके उसे मेरे आने की खबर दे दी थी. मुझे देखकर वो बहुत खुश हुई और उसने मुझे अपने आलिंगन में भर लिया. फिर वो मुझे अंदर ले गयी. वो दो कमरे वाला छोटा सा घर था. जब मेने जीजाजी के बारे में पूछा तो उसने बताया की वो किसी ट्रैनिंग के सिलसिले में दो महीने के लिए देल्ही गये हैं. मेरे आने पर उसे बहुत खुशी हुई क्यूंकी उसका 1 साल का लड़का था और वो घर में अकेलापन महसूस कर रही थी. मेरे वहाँ रहने से वो तोड़ा सेक्यूर फील कर रही थी.

रात में सोने के समय उसने मुझे अपने कमरे में ही सोने को कहा क्यूंकी वाहा बड़ा बेड था और वैसे भी वो छोटा ही घर था. हम दोनो के बीच बेड में उसका लड़का सोया था. रात में मुझे नींद में एक अजीब सा सपना आया. मेने देखा मेरी दीदी मुझे किस कर रही है. सुबह जब में उठा तो मुझे सपने को सोचकर लज्जा आई.
मेने बगल में देखा तो दीदी अभी भी सोई थी. उसका पल्लू खिसक गया था और उसकी सांसो के साथ उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी. उसके लो कट ब्लाउस से वो बड़ी बड़ी चुचियाँ बाहर आने की कोशिश कर रही थी. मेने ध्यान से देखा तो पाया की उसने अंदर ब्रा नही पहनी हुई थी. ब्रा ना होने से उसकी चुचियों के निप्पल भी ब्लाउस में दिख रहे थे. मई मंत्रमुग्धा होकर उन हिलती चुचियों को देखता रहा.

तभी अचानक उसने आँखे खोल दी. लेकिन मेने झट से अपनी नज़रें फेर ली . फिर उसकी तरफ देखते हुए उसको गुड मॉर्निंग बोला. वो बोली , “ तुम इतनी जल्दी कैसे उठ गये , हरी?”

मै सिर्फ़ मुस्कुरा दिया. तभी उसने देखा उसका पल्लू खिसका हुआ है और लो कट ब्लाउस से छाती खुली हुई है. लेकिन उसने कोई खास रिक्षन नही दिखाया और आराम से अपना पल्लू ठीक किया और अपनी छाती धक ली.
उठने के बाद अपने सुबह के काम निपटाए. नयी जगह होने से थोड़ी देर में ही मै कमरे में बोर हो गया. मै दीदी को धोँदनेलागा. दीदी बातरूम में लड़के को नहला रही थी. उसने मुझे देखा तो मुस्कुरा दी और बोली, “ भाई , जब तू छोटा था तब मै तुझे ऐसे ही नहलाती थी. तब तू मेरे सामने कपड़े उतरने में बहुत शरमाता था.”

मेने अपने को कोसा , हे भगवान , तब तूने मुझे अकल क्यूँ नही दी.
फिर मै बोला, “ दीदी , जब आप मुझे नहलाती थी तो मै बहुत रोता था. लेकिन अब सोचता हूँ काश कोई मुझे वैसे ही नहला दे तो कितना अक्चा हो. क्यूंकी मै नहाने से बहुत डरता हूँ.”

दीदी मुस्कुराइ और बोली, “ इसमे कोंसि बड़ी बात है. तुम बस मुझसे कहो की मुझे नहाना है. मै अपने लेडल भाई को नहला दूँगी.”

मै बहुत खुश हुआ. मुझे उम्मेड नही थी की वो मुझे अभी भी मासूम बाकचा ही समझेगी. मुझे समझ ही नही आया की मै क्या जवाब दूं.
फिर मैं बोला, “ ठीक है दीदी. जब तुम इसको नहला डोगी तो मुझे आवाज़ दे देना. उसके बाद तुम मुझे नहला सकती हो.”

अपने मुँह से ये बात सुनकर मै खुद ही हैरान रह गया. क्या मेने अपनी दीदी से वाक़ई ऐसा बोला ?

मेने समझा वो मज़ाक कर रही होगी ऑरा ब मुझे दाँटेगी या झिड़क देगी.

लेकिन वो बोली, “ ठीक है भाई, मै तुम्हे बुला लूँगी.”

मुझे समझ ही नही आ रहा था की अब क्या करू. मै बेडरूम में चला गया और बेड पर बैठ गया. फिर सोचने लगा. दीदी क्या मुझे वाक़ई नहलाएगी ? लेकिन ये बात उससे कितनी देर तक छुपी रहेगी की अब मै उसका पहले जैसा छोटा मासूम भाई नही हूँ, बल्कि 19 साल के जिस्म वाला लड़का हूँ. मै ये सब सोच रहा था की तभी उसने मुझे आवाज़ दी.

मै अंदर गया तो वो बोली , “ पहले मै छोटू को सुला देती हूँ फिर तुम्हे नहलौंगी.”

मै बोला, “ ठीक है.”

चलो तोड़ा औट टाइम सोचने को मिल गया. क्या मै एक मासूम बाकछे की तरह व्यवहार कर पौँगा ? क्या मै अपने उपर इतना कंट्रोल कर पौँगा की मुझे एरेक्षन ना हो ? फक ! मेरा तो अभी से लंड खड़ा हो गया है. हे भगवान ! मेरी मादा करो.
मै ऐसे ही बड़बड़ा रहा था की दीदी ने फिर मुझे आवाज़ दी पर इस बार उसने मुझे बातरूम से आवाज़ दी थी. मै बातरूम में चला गया.

मई ऐसे ही बड़बड़ा रहा था की दीदी ने फिर मुझे आवाज़ दी पर इस बार उसने मुझे बातरूम से आवाज़ दी थी. मई बातरूम में चला गया.

उसने वही सारी पहनी हुई थी लेकिन भीगने से बचाने के लिए पेटिकोट में दबाकर तोड़ा उपर कर ली थी. इससे उसकी घुटनो से नीचे की गोरी गोरी टाँगे दिख रही थी. और जांघों के निचले भाग की भी झलक दिख जा रही थी. फिर बिना कुछ बोले उसने मेरी टशहिर्त सर के उपर से उतार दी. फिर उसने मेरा निक्कर उतार दिया. अब मई दीदी के सामने सिर्फ़ एक अंडरवेर में था. जैसे ही उसने मेरे अंडरवेर के दोनो कोनो को उतरने के लिए पकड़ा , मेने शरम से एकद्ूम उसको रोक दिया.

वो मुस्कुराइ और मुझसे बोली, “ अरी… शरमाता क्यूँ है हरी ? मेने तो तुझे बचपन से ही नंगा देखा है.”

मई शरमाते हुए बोला, “ दीदी , तब की बात अलग थी . तब मई बाकचा था. अब मई बाकचा नही रहा. बड़ा हो गया हूँ.”

वो बोली, “ मुझे मालूम है तू अब बाकचा नही रहा. अब तेरे लंबे पैर हैं , लंबे हाथ हैं . इसलिए मई जानती हूँ की अब तेरा लंड भी लंबा ही हो गया होगा.”

उसकी ये बात सुनकर लगे झटके से जब तक मई उबर पता , तब तक वो मेरा अंडरवेर नीचे कर चुकी थी.

नंगा होते ही मेरे लंड टन के खड़ा हो गया. दीदी हँसी और बोली, “ हरी , एंबॅरस मत होव. ये तो नॉर्मल है.” .

फिर उसने मेरे उपर पानी डालना शुरू कर दिया. फिर उसने मुझे पीछे मुड़ने को कहा. मेरे सारे नंगे बदन पर हाथों से मलते हुए उसने साबुन लगाया. मेरी पीठ और नीचे पैरो पर साबुन लगाया. फिर उसने मेरी गंद को साबुन लगाया. जब उसने मेरे नितंबों को अलग करके बीच की दरार में साबुन लगाने के लिए हाथ डाला तो मई भौचक्का रह गया. वहाँ हाथ लगाने से मेरे लंड में रिक्षन हुआ और वो फंफनाने लगा. मेने लंड को कंट्रोल करने के लिए हाथ से पकड़ लिया ताकि दीदी उसको फंफंते हुए ना देख ले. तभी उसने मुझे आयेज मुड़ने को कहा. मेरी छाती , पेट , टॅंगो में सब जगह साबुन लगाया. मेने अपने लंड को हाथों से धक रखा था. उसने मुझे हाथ हटाने को कहा , मेने सर हिलाकर माना कर दिया.

फिर दीदी ने मुझे दांते हुए कहा, “ हाथ हटा .”

अब मुझे हितचकिचाते हुए हाथ हटाना ही पड़ा.
फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और साबुन लगाने लगी. साबुन लगाने के लिए वो उपर नीचे लंड पर हाथ करने लगी , जैसे मूठ मरते समय करते हैं. मई आँख बंद करके अपने को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश करने लगा. दूसरे हाथ से उसने मेरी गोलियाँ पकड़ ली और उनको मसाज करते हुए साबुन लगाने लगी.

वो पैरो के बाल नीचे बैठी हुई थी और मेरा लंड उसके चेहरे के सामने था. उसके ऐसे रगड़ने से मैने अपना कंट्रोल खो दिया और….. फ़चक……. फ़चक …….मेरे लंड से ढेर सारे वीर्या की धार उसके चेहरे पर जा गिरी. दीदी के चेहरे पर सब जगह वीर्या फैल गया.

वो बोली, “ गढ़े !! तेरा अपने उपर बिल्कुल भी कंट्रोल नही है क्या ?”

फिर बातरूम में लगे शीशे में अपना चेहरा देखकर हँसे लगी.
और बोली, “ देख तूने मेरी क्या हालत कर दी है. और मेरे कपड़ों की भी.”

वीर्या उसके चेहरे से उसके ब्लाउस और सारी में भी तपाक गया था.

“अब मुझे भी नहाना पड़ेगा.”

फिर उसने मेरे बदन में पानी डालकर सारा बदन धोया और मुझे एक टवल देकर बातरूम से बाहर जाने को कहा.

मई बोला, “ दीदी, तुमने मुझे नंगा भी देख लिया और पूरे बदन पर हर जगह हाथ भी फेर लिया. अब मई भी तुम्हे नहाते हुए देखना चाहता हूँ.”

अब उसे महसूस हुआ की उसका छोटा भाई वाक़ई में बड़ा हो गया है. जो अपनी दीदी को नग्न देखना चाहता है.

उसने मेरी आँखो में देखा , फिर कुछ पल बाद बोली, “ ठीक है , लेकिन मुझे चुना मत.”

फिर उसने अपनी सारी उतार दी. उसके बाद ब्लाउस भी उतार दिया. अब उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ खुली थी. मुझे उनपर टूट पड़ने की इक्चा हुई. मेरे गला उनको देखकर सूखने लगा.

मई बोला, “ दीदी , तुम्हारी छाती कितनी सुंदर है. काश मई तुम्हारा बेबी होता (तो दूध पी पता).”

अपनी चुचियों की तारीफ सुनकर और मेरा बेबी से ढूढ़ पीने का इशारा समझकर दीदी शर्मा गयी.
और बोली, “ तुम मेरे उपर कॉमेंट करना बंद करो. नही तो मई तुम्हे बातरूम से बाहर निकल दूँगी.”

फिर उसने अपना पेटिकोट भी उतार दिया. पेटिकोट के अंदर उसने कुछ नही पहना हुआ था. वो नज़ारा देखकर मेरा मुँह खुला रह गया और आँखे फैल गयी. मई जिंदगी में पहली बार अपने सामने किसी नंगी लड़की को देख रहा था. मेरी ऐसे हालत देखकर वो फिर शरमाई.

फिर मई बोला, “ दीदी अगर आप इज़ाज़त दो , तो मई कुछ कहना चाहता हूँ.”

उसने कहा , “ बोलो , क्या बात है ?”

मैने कहा, “ दीदी , तुम्हारे नितंब कितने सुंदर हैं , भरे भरे लेकिन नरम और सुडोल भी. मुझे इन मुलायम गद्देदार नितंबों के उपर सोने का मॅन कर रहा है. और दीदी , तुम्हारे नीचे के काले बाल (छूट के) कितने मुलायम और नरम दिख रहे हैं.”

उसने ये सुनकर कहा , “ बस अब बहुत हो गया. अब तू बाहर निकल.”

और मुझे धक्का देकर बातरूम से बाहर निकल दिया. और दरवाज़ा बंद कर लिया.

मुझे बाहर निकले जाने से बहुत निराशा हुई लेकिन ग़लती मेरी ही थी. उसने मुझे चुप रहने को कहा था लेकिन मई उसके जिस्म की तारीफ किए बिना नही रह पाया. नतीज़ा उसने मुझे बाहर निकल दिया.

लेकिन मेने भी हार नही मानी और इस खेल को आयेज जारी रखने की ठनी.
अब मई बेडरूम में जाकर कपड़े पहनने की बजे किचन मई गया और स्टोव के बगल में नंगा ही बैठ गया.
दीदी ने मुझे धक्का देकर बातरूम से बाहर निकल दिया. और दरवाज़ा बंद कर लिया.
मुझे बाहर निकले जाने से बहुत निराशा हुई लेकिन ग़लती मेरी ही थी. उसने मुझे चुप रहने को कहा था लेकिन मई उसके जिस्म की तारीफ किए बिना नही रह पाया. नतीज़ा उसने मुझे बाहर निकल दिया.

लेकिन मेने भी हार नही मानी.
अब मई बेडरूम में जाकर कपड़े पहनने की बजे किचन मई गया और स्टोव के बगल में नंगा ही बैठ गया.

कुछ देर बाद वो नाहकार बातरूम से किचन में आई. उसने सिर्फ़ पेटिकोट पहना हुआ था. पेटिकोट को उसने अपनी छाती पर बँधा था , इससे उसकी छाती से जाँघो के सिर्फ़ उपरी हिस्से तक का भाग ढाका हुआ था. मुझे किचन मई देखकर वो हैरान हुई और वो भी नंगा देखकर.

दीदी बोली, “ बेवकूफ़ !! तू यहाँ किचन में क्या कर रहा है और ऐसे नंगा क्यूँ बैठा है. जा कुछ कपड़े पहन.”

मई बोला, “ दांती क्यूँ हो दीदी. मई तुमको कोई डिस्टर्ब थोड़ी कर रहा हूँ. चुपचाप तो बैठा हूँ. तुम जो अपना काम कर रही करते रहो. मुझसे तुम्हे क्या परेशानी हो रही है. और जहाँ तक कपड़े पहनने की बात है तो मुझे ऐसे नंगा रहना ही ज़्यादा अक्चा लगता है. वैसे भी यहाँ कौन आने वाला है.”

दीदी मेरी बातों से झल्लाकर बोली, “ कर भाई, जो तेरी मर्ज़ी आए वही कर.”

फिर दीदी खाना पकने लगी. कुछ देर बैठे रहने के बाद मई उसके पीछे खड़ा हो गया , जैसे ही मेरे खड़े लंड ने उसकी गंद को छुआ वो चिल्ला पड़ी और बोली, “ ये तू क्या कर रहा है ?”

मेने शांत स्वर में जवाब दिया , “ मेने क्या किया ? जब मई तुम्हे हाथ से छूटा हूँ तो तुम कुछ नही कहती. पर जब मेने इससे तुम्हे छुआ तो तुम चिल्ला रही हो. ऐसा क्यूँ ?”

दीदी बोली, “ लेकिन तुम मेरे नितंबों को छू रहे हो. चाहे तुम हाथ से छुओ या लंड से , मई बर्दस्त नही करूँगी वहाँ पर.”

फिर मेने अपने लंड से उसका हाथ छू दिया. दीदी समझ गयी भाई मज़ाक के मूड में खेल रहा है. अब वो भी मस्ती में आ गयी. जब मेने उसके हाथ को अपने लंड से छुआ तो उसने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और उसे ज़ोर से दबा दिया. मई दर्द से चिल्ला पड़ा.

वो हंसते हुए बोली, “ अगर तू मेरे नज़दीक़ आया तो तेरा यही हाल करूँगी मई.”

दीदी फिर से खाना बनाना में जुट गयी.
कुछ देर बाद मई फिर से उसके पीछे खड़ा हो गया और उसका पेटिकोट तोड़ा उपर उठा के उसके बड़े बड़े नितंबों को देखने लगा. वो कितने नरम और सुंदर दिख रहे थे. मेरे मुँह में पानी आ गया.
दीदी ने तुरंत अपने हाथ से पेटिकोट नीचे कर दिया.

मई बोला, “ दीदी तुमने मुझे अपना पूरा बदन दिखा तो दिया है. तुम अब क्यों शरम महसूस कर रही हो ?”

दीदी बोली, “ हरी , तुम प्लीज़ बाहर जाओ. तुम्हारी इन हरकतों से मुझे उततेज़ना आ रही है . और इससे मुझे तुम्हारे जीजाजी की याद आ रही है. मई अपने भाई के साथ ग़लत काम नही करना चाहती हूँ. लेकिन अगर तुम मुझसे ऐसे ही छेड़खानी करते रहे तो सारे बंधन टूटने में ज़्यादा देर नही लगेगी. इसलिए प्लीज़ तुम मेरे बदन से छेड़खानी बंद करो और किचन से बाहर चले जाओ.”

मैं बाहर जाने के बजे दीदी के नज़दीक़ गया और उसको अपने आलिंगन में कस लिया. और फिर उसके रसीले होठों पर अपने होत रखकर उनको चूमने लगा. उसने मुझे दूर हटाने की कोशिश की पर मेने उसे जकड़े रखा. फिर मेने जल्दी से , एक हाथ नीचे डालकर उसका पेटिकोट उपर उठा दिया , ऐसा करने से मेरा लंड दीदी की छूट के बलों पर रग़ाद खाने लगा. बस मेरा ऐसा करना टर्निंग पॉइंट साबित हुआ . लंड उसके सेन्सिटिव एरिया में टच होते ही दीदी का विरोध ख़तम हो गया.

अब जिन हाथों से वो मुझे धक्का दे रही थी उन्ही हाथों को उसने मेरे गले में दल दिया और मेरे होठों का चुंबन लेने लगी. फिर उसने अपने होत खोल दिए और मेरी जीभ को अपने मुँह में घुसने दिया. मेरे हाथ दीदी की पूरी पीठ पर घूमने लगे और मेने उसके पेटिकोट का नडा खोल दिया और पेटिकोट फर्श पर गिर गया. अब दीदी भी मेरी ही तरह पूरी नंगी थी. अब हम दोनो फिर से एक दूसरे को आलिंगन में लेकर होठों का चुंबन लेने लगे. फिर मेने होठों का चुंबन लेते हुए ही एक हाथ से उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को मसलना शुरू कर दिया. उसके बाद मेने उसकी चुचयों के निप्पल पर अपना मुँह लगा दिया और निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसना लगा. मेरे ऐसा करने से दीदी की उततेज़ना बहुत बाद गयी और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी. कुछ देर तक में उसकी चुचियों को ऐसे ही चूस्टे रहा.

फिर मेने उसको गोद में उठाया और किचन के स्लॅब में बैठा दिया. अपना मुँह दीदी की छूट में लगाकर छूट की दरार और क्लिट को चूमने लगा. फिर मेने छूट के होठों के अंदर अपनी जीभ दल दी. दीदी की छूट के अंदर मेरी जीभ को गर्मी और गीलापन महसूस हुआ. मेरी जीभ उसकी छूट के अंदर घूम घूमकर सब जयजा लेने लगी. कुछ देर बाद दीदी झाड़ गयी और उसने मेरे मुँह पर ही अपना छूटरस छोड़ दिया.

फिर मेने अपने लंड को दीदी की छूट के छेड़ पर लगाया लेकिन उसने कहा, “ हरी , तुम अंदर मत डालो. इसे मेरे पति के लिए ही रहने दो. इसकी बजे तुम मेरे पीछे से डाल लो. “

मेने उसकी बात मनलि और जैसे ही उसकी गंद के छेड़ पर लंड रखा ,
वो बोली, “ बेवकूफ़ ! पहले उसको लूब्रिकेट तो कर.”

मई दीदी को देखकर मुस्कुराया और फिर उसकी गंद का चुंबन लिया. फिर मई उसकी गंद के छेड़ में जीभ घुसकर अंदर घूमने लगा , दीदी उततेज़ना से चीखने लगी और जब उसकी बर्दस्त से बाहर हो गया तो मेने जीभ बाहर निकल ली.

फिर नीचे झुककर दीदी ने मेरे लंड का चुंबन लिया और फिर लंड को अपने मुँह में लेकर उसको चूसना शुरू कर दिया. एक हाथ से वो मेरी गोलिया सहला रही थी.
उसने इतनी ज़ोर ज़ोर से मेरा लंड चूसा की मुझे उससे कहना पड़ा , “ अब बस करो दीदी , नही तो में तुम्हारे मुँह में ही झाड़ जौंगा.”

उसने लंड चूसना बंद किया और उसे मुँह से बाहर निकल लिया.
फिर वो बोली, “ ठीक है , अब अंदर डालो.”

मेने अपने लंड को उसकी गंद के छेड़ पर लगाया और सूपदे को तोड़ा अंदर घुसाया. धीरे धीरे सूपड़ा अंदर चला गया. एक बार सूपड़ा अंदर घुसने के बाद मेने बाकी का हिस्सा भी अंदर घुसा दिया. कुछ पल तक अंदर रखने के बाद मई लंड को आयेज पीछे करने लगा. और फिर दीदी की गंद को बुरी तरह छोड़ना शुरू कर दिया उसने मेरे नितंबों को पकड़कर अपने को थामे रखा और दर्द की वजह से मेरे कंधों पर अपने दाँत गाड़ा दिए. मेने उसके होठों पर अपने होत रख दिए और उसका मुँह अपने होत से बंद कर दिया.

कुछ देर बाद मेने उससे कहा, “ दीदी मई झड़ने वाला हूँ.”

मई उसके अंदर ही वीर्या गिरना चाहता था पर उसने माना कर दिया और मुझसे लंड बाहर निकालने को कहा. मेने उसकी छूट के काले बाल और उसके पेट पर वीर्या की धार छोड़ दी.
दीदी मुस्कुराइ और मुझे बातरूम ले गयी. बातरूम में उसने पानी डालकर अपने को सॉफ किया और फिर मेरे बदन को सॉफ किया.

उसके बाद मेने कहा, “ दीदी , तुम बाहर जाओ , मुझे पेशाब करनी है.”

दीदी हँसी और बोली, “ उसमे क्या नयी बात है ?”

मेने कहा, “ ऐसा है तो ठीक है फिर.” , और ये कहते हुए ही मेने पेशाब की धार उसके उपर ही छोड़ दी . दीदी मेरे नज़दीक़ आई और मेरे लंड को पकड़कर मेरी ही तरफ कर दिया , इससे मेरी थोड़ी पहब मेरे ही उपर गिर गयी.

फिर बदला लेने के लिए दीदी ने मेरी जाँघ पकड़ के अपनी टॅंगो के बीच दल ली और खुद भी पेशाब करने लगी. उसकी गरम पेशाब मेरी जाँघ पर गिरने लगी.

मैने कहा, “ दीदी तुम मेरे उपर पेशाब कर रही हो. दूर हटो.”

दीदी बोली,” अक्चा तो तुम्हे ये पसंद नही आया. तो फिर ये लो.” ऐसा कहते हुए उसने मुझे नीचे को दबाया और मेरे चेहरे पर पेशाब कर दी. मई उसके उपर चिल्लाने लगा पर सच में जो भी वो मेरे साथ कर रही थी उसमे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर हम दोनो ने अपने बदन सॉफ किए और बातरूम से बाहर आ गये.

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उसके बाद हम दोनो ने अपना ये खेल आयेज के दीनो में भी जारी रखा . हम अब भी कई बार ये सब करते हैं. और मेरी प्यारी दीदी अब पहले से भी ज़्यादा वाइल्ड और अग्रेसिव हो गयी है.

लेकिन इन सब के बावजूद मेरे और मेरी दीदी के बीच ये पहली घटना यादगार है और आज भी मुझे उस दिन की एक एक बात आक्ची तरह से याद है , जैसे ये सब कल ही हुआ हो.